अलक्षितोऽग्नौ पतित: पतङ्गमो
यथा नृसिंहौजसि सोऽसुरस्तदा ।
न तद्विचित्रं खलु सत्त्वधामनि
स्वतेजसा यो नु पुरापिबत् तम: ॥ २४ ॥
अनुवाद
भगवान ने नृसिंह का रूप धारण किया और हिरण्यकशिपु को अपनी गोद में ले लिया। हिरण्यकशिपु उनसे बचने के लिए इधर-उधर भागता रहा, लेकिन भगवान हर जगह उसका पीछा करते रहे। अंत में, भगवान ने हिरण्यकशिपु को अपने नाखूनों से फाड़कर मार डाला।