श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 8: भगवान् नृसिंह द्वारा असुरराज का वध  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  7.8.15 
 
 
तदैव तस्मिन्निनदोऽतिभीषणो
बभूव येनाण्डकटाहमस्फुटत् ।
यं वै स्वधिष्ण्योपगतं त्वजादय:
श्रुत्वा स्वधामात्ययमङ्ग मेनिरे ॥ १५ ॥
 
अनुवाद
 
  तब उस खंभे के भीतर से एक भयानक आवाज आई जिससे ब्रह्मांड का आवरण टूटता हुआ प्रतीत हुआ। हे युधिष्ठिर, यह आवाज ब्रह्मा आदि देवताओं के निवासों तक पहुँच गई और जब देवताओं ने इसे सुना तो उन्होंने सोचा "अरे! अब हमारे लोकों का विनाश होने जा रहा है।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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