श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 8: भगवान् नृसिंह द्वारा असुरराज का वध  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  7.8.14 
 
 
एवं दुरुक्तैर्मुहुरर्दयन् रुषा
सुतं महाभागवतं महासुर: ।
खड्‌गं प्रगृह्योत्पतितो वरासनात्
स्तम्भं तताडातिबल: स्वमुष्टिना ॥ १४ ॥
 
अनुवाद
 
  अत्यन्त क्रोध के कारण अत्यन्त बलशाली हिरण्यकशिपु ने अपने महाभागवत पुत्र को अत्यन्त कटु वचन कहे और उसे फटकारा। बार-बार उसे श्राप देते हुए हिरण्यकशिपु अपनी तलवार लेकर अपने राजसी सिंहासन से उठ खड़ा हुआ और बहुत क्रोध के साथ खंभे पर मुक्का मारा।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.