श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 8: भगवान् नृसिंह द्वारा असुरराज का वध  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  7.8.1 
 
 
श्रीनारद उवाच
अथ दैत्यसुता: सर्वे श्रुत्वा तदनुवर्णितम् ।
जगृहुर्निरवद्यत्वान्नैव गुर्वनुशिक्षितम् ॥ १ ॥
 
अनुवाद
 
  नारद मुनि आगे कहने लगे : प्रह्लाद महाराज के अलौकिक वचनों की सराहना करते हुए असुरों के सभी पुत्रों ने उनको गंभीरतापूर्वक ग्रहण किया। उन्होंने अपने गुरु षण्ड और अमर्क के दिये हुए भौतिक उपदेशों को नकार दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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