श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 7: प्रह्लाद ने गर्भ में क्या सीखा  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  7.7.6 
 
 
व्यलुम्पन् राजशिबिरममरा जयकाङ्‌क्षिण: ।
इन्द्रस्तु राजमहिषीं मातरं मम चाग्रहीत् ॥ ६ ॥
 
अनुवाद
 
  विजयी देवताओं ने असुरराज हिरण्यकशिपु के महल को लूट लिया और उसमें रखी सभी वस्तुओं को नष्ट कर डाला। तब स्वर्ग के राजा इंद्र ने मेरी माता और रानी को बंदी बना लिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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