श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 5: हिरण्यकशिपु का साधु पुत्र प्रह्लाद महाराज  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  7.5.7 
 
 
सम्यग्विधार्यतां बालो गुरुगेहे द्विजातिभि: ।
विष्णुपक्षै: प्रतिच्छन्नैर्न भिद्येतास्य धीर्यथा ॥ ७ ॥
 
अनुवाद
 
  हिरण्यकशिपु ने अपने मंत्रियों से आज्ञा दी: हे रक्षकों, इस बालक के गुरुकुल की पूरी सुरक्षा का ध्यान रखना जहाँ यह शिक्षा प्राप्त करता है, ताकि वैष्णव जो वहाँ छद्मवेश में प्रवेश कर सकते हैं, उसकी बुद्धी को और अधिक प्रभावित न कर सकें।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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