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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान
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अध्याय 5: हिरण्यकशिपु का साधु पुत्र प्रह्लाद महाराज
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श्लोक 54
श्लोक
7.5.54
यदाचार्य: परावृत्तो गृहमेधीयकर्मसु ।
वयस्यैर्बालकैस्तत्र सोपहूत: कृतक्षणै: ॥ ५४ ॥
अनुवाद
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जब गुरुगण बाहर चले गए और अपने घर के काम करने में लग गए, तब प्रह्लाद महाराज के उम्र के छात्र उन्हें बुलाने लगे, ताकि ये अवकाश का समय खेलने में व्यतीत कर सकें।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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