वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान
»
अध्याय 5: हिरण्यकशिपु का साधु पुत्र प्रह्लाद महाराज
»
श्लोक 52
श्लोक
7.5.52
धर्ममर्थं च कामं च नितरां चानुपूर्वश: ।
प्रह्रादायोचतू राजन्प्रश्रितावनताय च ॥ ५२ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
तत्पश्चात, षण्ड और अमर्क ने अत्यन्त विनम्र तथा नम्र प्रह्लाद महाराज को धर्म, धन और काम के विषयों में क्रमशः और निरंतर पढ़ाना शुरू किया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.