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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान
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अध्याय 5: हिरण्यकशिपु का साधु पुत्र प्रह्लाद महाराज
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श्लोक 51
श्लोक
7.5.51
तथेति गुरुपुत्रोक्तमनुज्ञायेदमब्रवीत् ।
धर्मो ह्यस्योपदेष्टव्यो राज्ञां यो गृहमेधिनाम् ॥ ५१ ॥
अनुवाद
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हिरण्यकशिपु ने अपने गुरु पुत्र षण्ड और अमर्क से प्रार्थना की कि वे प्रह्लाद को उस धर्म का उपदेश दें जिसका पालन राजघरानों द्वारा किया जाता है। वे उनके उपदेश को सुनकर सहमत हो गए और प्रह्लाद को उसका पालन करने के लिए कहा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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