वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान
»
अध्याय 5: हिरण्यकशिपु का साधु पुत्र प्रह्लाद महाराज
»
श्लोक 48
श्लोक
7.5.48
इति तच्चिन्तया किञ्चिन्म्लानश्रियमधोमुखम् ।
षण्डामर्कावौशनसौ विविक्त इति होचतु: ॥ ४८ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
इस प्रकार से विचार करते हुए, उदास और बदहवास दैत्यों के राजा मुँह नीचे किये हुए मौन बैठे रहे। उसी समय शुक्राचार्य के दोनों पुत्र षण्ड और अमर्क एकांत में उनसे बोले।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.