अप्रमेयानुभावोऽयमकुतश्चिद्भयोऽमर: ।
नूनमेतद्विरोधेन मृत्युर्मे भविता न वा ॥ ४७ ॥
अनुवाद
मैं देखता हूँ कि इस बालक की शक्ति असीमित है क्योंकि यह मेरे किसी भी दण्ड से भयभीत नहीं हुआ। यह अमर प्रतीत होता है, इसलिए मैं इसकी दुश्मनी में मर जाऊँगा। लेकिन हो सकता है कि ऐसा ना हो।