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अध्याय 5: हिरण्यकशिपु का साधु पुत्र प्रह्लाद महाराज
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श्लोक 26
श्लोक
7.5.26
ब्रह्मबन्धो किमेतत्ते विपक्षं श्रयतासता ।
असारं ग्राहितो बालो मामनादृत्य दुर्मते ॥ २६ ॥
अनुवाद
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अरे अयोग्य व अत्यंत घृणित ब्राह्मण पुत्र, तूने मेरे आदेश की अवज्ञा की और मेरे दुश्मनों का पक्ष लिया है। तूने इस निर्धन बालक को भक्ति का पाठ पढ़ाया है। यह क्या बकवास है?
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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