वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान
»
अध्याय 4: ब्रह्माण्ड में हिरण्यकशिपु का आतंक
»
श्लोक 40
श्लोक
7.4.40
नदति क्वचिदुत्कण्ठो विलज्जो नृत्यति क्वचित् ।
क्वचित्तद्भावनायुक्तस्तन्मयोऽनुचकार ह ॥ ४० ॥
अनुवाद
play_arrowpause
कभी भगवान के दर्शन कर प्रह्लाद महाराज उत्सुकतावश जोर से पुकारते। कभी हर्ष व उल्लास में विस्मृत होकर नाचने लगते। कभी-कभी कृष्ण के भावों में डूबकर वे भगवान से एकाकार होने की अनुभूति करते और उनकी लीलाओं का अनुकरण करते।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.