श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 4: ब्रह्माण्ड में हिरण्यकशिपु का आतंक  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  7.4.3 
 
 
ततो जगाम भगवानमोघानुग्रहो विभु: ।
पूजितोऽसुरवर्येण स्तूयमान: प्रजेश्वरै: ॥ ३ ॥
 
अनुवाद
 
  तदनंतर अमोघ वर देने वाले ब्रह्माजी दैत्यों में श्रेष्ठ हिरण्यकशिपु द्वारा पूजित तथा महान ऋषियों और साधु पुरुषों द्वारा प्रशंसित होकर वहाँ से प्रस्थान कर गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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