मा भैष्ट विबुधश्रेष्ठा: सर्वेषां भद्रमस्तु व: ।
मद्दर्शनं हि भूतानां सर्वश्रेयोपपत्तये ॥ २५ ॥
ज्ञातमेतस्य दौरात्म्यं दैतेयापसदस्य यत् ।
तस्य शान्तिं करिष्यामि कालं तावत्प्रतीक्षत ॥ २६ ॥
अनुवाद
भगवान की वाणी इस प्रकार गूँजी - "हे परम विद्वानों, डरो मत। तुम्हारा कल्याण हो। तुम सब मेरे श्रवण और कीर्तन द्वारा और मेरी स्तुति से मेरे भक्त बनो, क्योंकि ये सभी जीवों को आशीर्वाद देने के लिए हैं। मैं हिरण्यकशिपु के कार्यों को जानता हूँ और मैं उन्हें शीघ्र ही रोक दूँगा। तब तक तुम मेरी धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करो।"