श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 4: ब्रह्माण्ड में हिरण्यकशिपु का आतंक  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  7.4.21 
 
 
तस्योग्रदण्डसंविग्ना: सर्वे लोका: सपालका: ।
अन्यत्रालब्धशरणा: शरणं ययुरच्युतम् ॥ २१ ॥
 
अनुवाद
 
  हिरण्यकशिपु द्वारा दिए गए कठोर दंड से सभी नागरिक और ग्रहों के राजा भी अत्यंत पीड़ित थे। बहुत डरे हुए और परेशान होकर, कोई दूसरा सहारा न पाकर, अंततः उन्होंने भगवान विष्णु की शरण ली।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.