श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 4: ब्रह्माण्ड में हिरण्यकशिपु का आतंक  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  7.4.20 
 
 
एवमैश्वर्यमत्तस्य द‍ृप्तस्योच्छास्त्रवर्तिन: ।
कालो महान् व्यतीयाय ब्रह्मशापमुपेयुष: ॥ २० ॥
 
अनुवाद
 
  इसी प्रकार अपने वैभव पर अत्यधिक गर्व करते हुए तथा मान्य शास्त्रों में बताए नियमों और विधियों का उल्लंघन करते हुए हिरण्यकशिपु ने काफी समय बिताया। इसी कारण चारों कुमारों, जो महान ब्राह्मण थे, ने उसे शाप दे दिया।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.