एवमैश्वर्यमत्तस्य दृप्तस्योच्छास्त्रवर्तिन: ।
कालो महान् व्यतीयाय ब्रह्मशापमुपेयुष: ॥ २० ॥
अनुवाद
इसी प्रकार अपने वैभव पर अत्यधिक गर्व करते हुए तथा मान्य शास्त्रों में बताए नियमों और विधियों का उल्लंघन करते हुए हिरण्यकशिपु ने काफी समय बिताया। इसी कारण चारों कुमारों, जो महान ब्राह्मण थे, ने उसे शाप दे दिया।