श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 4: ब्रह्माण्ड में हिरण्यकशिपु का आतंक  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  7.4.18 
 
 
शैला द्रोणीभिराक्रीडं सर्वर्तुषु गुणान् द्रुमा: ।
दधार लोकपालानामेक एव पृथग्गुणान् ॥ १८ ॥
 
अनुवाद
 
  पहाड़ों के बीच की घाटियाँ हिरण्यकशिपु के लिए खेल का मैदान बन गईं, जिसके प्रभाव से सभी पेड़ और पौधे हर मौसम में भरपूर फल और फूल देने लगे। पानी बरसाना और शुष्क करना, एवम् आग लगाना जो कि ब्रह्मांड के तीन विभागों के प्रमुखों — जैसे इंद्र, वायु और अग्नि — के गुण हैं, वे अब देवताओं की सहायता के बिना अकेले हिरण्यकशिपु द्वारा निर्देशित किए जाने लगे।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.