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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान
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अध्याय 2: असुरराज हिरण्यकशिपु
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श्लोक 9
श्लोक
7.2.9
तस्मिन् कूटेऽहिते नष्टे कृत्तमूले वनस्पतौ ।
विटपा इव शुष्यन्ति विष्णुप्राणा दिवौकस: ॥ ९ ॥
अनुवाद
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जब वृक्ष की जड़ कट जाती है तब वृक्ष गिर जाता है और उसकी शाखाएँ तथा पत्तियाँ स्वतः ही सूख जाती हैं। उसी प्रकार जब मैं इस मायावी विष्णु को मार दूँगा तो सभी देवता, जिनके लिए भगवान विष्णु ही जीवन और आत्मा हैं, अपना जीवन-स्रोत खो देंगे और मुरझा जाएँगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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