कथं त्वजातपक्षांस्तान् मातृहीनान् बिभर्म्यहम् ।
मन्दभाग्या: प्रतीक्षन्ते नीडे मे मातरं प्रजा: ॥ ५५ ॥
अनुवाद
पक्षी के मातृहीन दुर्भाग्यपूर्ण बच्चे घोंसले में उसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं कि वह आकर उन्हें खिलाए। वे बहुत छोटे हैं और उनके पंख तक नहीं निकले हैं। मैं उनका भरण-पोषण कैसे कर पाऊँगा?