श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 2: असुरराज हिरण्यकशिपु  »  श्लोक 51
 
 
श्लोक  7.2.51 
 
 
कुलिङ्गमिथुनं तत्र विचरत्समद‍ृश्यत ।
तयो: कुलिङ्गी सहसा लुब्धकेन प्रलोभिता ॥ ५१ ॥
 
अनुवाद
 
  जंगल में भटकते समय, उस बहेलिया की दृष्टि कुलिंग पक्षियों के एक जोड़े पर पड़ी। उन दोनों में से, मादा पक्षी बहेलिया के फंदे में फंस गई।
 
 
 
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