जब तक आत्मा सूक्ष्म शरीर से आवृत रहेगी, जिसमें मन, बुद्धि और अहंकार शामिल हैं, तब तक वह अपने कर्मों के फल से बँधी रहेगी। इस आवरण के कारण, आत्मा भौतिक ऊर्जा से जुड़ी रहती है और इसलिए उसे जीवन के बाद जीवन, भौतिक परिस्थितियों और उलटफेरों का सामना करना पड़ता है।