श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 2: असुरराज हिरण्यकशिपु  »  श्लोक 4-5
 
 
श्लोक  7.2.4-5 
 
 
भो भो दानवदैतेया द्विमूर्धंस्त्र्यक्ष शम्बर ।
शतबाहो हयग्रीव नमुचे पाक इल्वल ॥ ४ ॥
विप्रचित्ते मम वच: पुलोमन् शकुनादय: ।
श‍ृणुतानन्तरं सर्वे क्रियतामाशु मा चिरम् ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  अरे दानव और दैत्यों, अरे द्विमूर्ध, त्र्यक्ष, शम्बर और शतबाहु, अरे हयग्रीव, नमुचि, पाक और इल्वल, अरे विप्रचित्ति, पुलोमन, शकुन और अन्य असुरों, तुम सब जरा मेरी बात को ध्यान से सुनो और फिर बिना देरी करे मेरे कहे अनुसार कार्य करो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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