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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान
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अध्याय 2: असुरराज हिरण्यकशिपु
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श्लोक 36
श्लोक
7.2.36
तत्र ह प्रेतबन्धूनामाश्रुत्य परिदेवितम् ।
आह तान् बालको भूत्वा यम: स्वयमुपागत: ॥ ३६ ॥
अनुवाद
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जब रानियाँ राजा के मृत शरीर पर विलाप कर रही थीं तो उनका जोर-जोर से रोना यमलोक तक भी सुनाई दे रहा था। इसीलिए, यमराज ने एक बच्चे का रूप धारण किया और मृतक के परिजनों के पास पहुँचकर उन्हें इस प्रकार से उपदेश दिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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