करालदंष्ट्रोग्रदृष्टया दुष्प्रेक्ष्यभ्रुकुटीमुख: ।
शूलमुद्यम्य सदसि दानवानिदमब्रवीत् ॥ ३ ॥
अनुवाद
अपने भयानक दाँत, उग्र दृष्टि और तनी हुई भौंहों को दिखाते हुए, देखने में भयावह वह अपने त्रिशूल को उठाए हुए था और अपने इकट्ठा हुए दुष्ट साथियों से इस प्रकार बोला।