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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान
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अध्याय 2: असुरराज हिरण्यकशिपु
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श्लोक 27
श्लोक
7.2.27
अत्राप्युदाहरन्तीममितिहासं पुरातनम् ।
यमस्य प्रेतबन्धूनां संवादं तं निबोधत ॥ २७ ॥
अनुवाद
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इस प्रसंग की व्याख्या करने हेतु एक प्राचीन इतिहास से एक उदाहरण दिया जा रहा है। यह उदाहरण यमराज और एक मृत व्यक्ति के मित्रों के बीच की वार्ता पर आधारित है। कृपया इसे ध्यान से सुनें।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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