हे माता, किसी भोजनालय या प्याऊ में अनेक राहगीर पास-पास आते हैं, किन्तु जल पीने के बाद अपने-अपने गन्तव्यों को चले जाते हैं। इसी प्रकार जीव भी किसी परिवार में आकर मिलते हैं किन्तु बाद में अपने-अपने कर्मों के अनुसार वे अपने-अपने गन्तव्यों को चले जाते हैं। ठीक वैसे ही मेरी प्यारी माँ, एक रेस्टोरेंट या ठंडा पानी पीने की जगह पर, कई यात्री एक साथ आते हैं और पानी पीने के बाद अपनी-अपनी मंज़िल की ओर चल पड़ते हैं। इसी तरह, जीव-जंतु एक परिवार में एक साथ आते हैं, लेकिन बाद में, अपने-अपने कर्मों के कारण, उन्हें अपनी-अपनी मंजिलों की ओर ले जाया जाता है।