हिरण्यकशिपुर्भ्रातु: सम्परेतस्य दु:खित: ।
कृत्वा कटोदकादीनि भ्रातृपुत्रानसान्त्वयत् ॥ १७ ॥
अनुवाद
अपने भाई हिरण्यकश्यप के निधन की अन्त्येष्टि क्रिया सम्पन्न कर लेने के पश्चात अत्यन्त दुखित होकर हिरण्यकश्यप ने अपने भतीजों को सान्त्वना देने का प्रयत्न किया।