श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 2: असुरराज हिरण्यकशिपु  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  7.2.13 
 
 
इति ते भर्तृनिर्देशमादाय शिरसाद‍ृता: ।
तथा प्रजानां कदनं विदधु: कदनप्रिया: ॥ १३ ॥
 
अनुवाद
 
  इस तरह जघन्य कार्यों के इच्छुक असुरों ने हिरण्यकशिपु की आज्ञा को अत्यंत श्रद्धापूर्वक लिया और उसे नमस्कार किया। उसके निर्देशानुसार वे सभी जीवों के प्रति ईर्ष्यापूर्ण कार्यों में जुट गए।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.