इति ते भर्तृनिर्देशमादाय शिरसादृता: ।
तथा प्रजानां कदनं विदधु: कदनप्रिया: ॥ १३ ॥
अनुवाद
इस तरह जघन्य कार्यों के इच्छुक असुरों ने हिरण्यकशिपु की आज्ञा को अत्यंत श्रद्धापूर्वक लिया और उसे नमस्कार किया। उसके निर्देशानुसार वे सभी जीवों के प्रति ईर्ष्यापूर्ण कार्यों में जुट गए।