विष्णुर्द्विजक्रियामूलो यज्ञो धर्ममय: पुमान् ।
देवर्षिपितृभूतानां धर्मस्य च परायणम् ॥ ११ ॥
अनुवाद
ब्राह्मण-संस्कृति का मुख्य सिद्धान्त भगवान् विष्णु को प्रसन्न करना है, जो यज्ञों और अनुष्ठानों के साक्षात् स्वरूप हैं। भगवान् विष्णु ही सारे धार्मिक सिद्धान्तों के अवतार हैं, और वे ही सभी देवताओं, महान् पितरों और सामान्य लोगों के संरक्षक हैं। अगर ब्राह्मणों की हत्या कर दी जाएगी, तो क्षत्रियों को यज्ञ करने के लिए प्रेरित करने वाला कोई नहीं रहेगा और फलस्वरूप, यज्ञों द्वारा प्रसन्न न होने की वजह से सारे देवता स्वयं ही मर जाएँगे।