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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान
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अध्याय 2: असुरराज हिरण्यकशिपु
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श्लोक 1
श्लोक
7.2.1
श्रीनारद उवाच
भ्रातर्येवं विनिहते हरिणा क्रोडमूर्तिना ।
हिरण्यकशिपू राजन् पर्यतप्यद्रुषा शुचा ॥ १ ॥
अनुवाद
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श्री नारद मुनि कहने लगे: हे राजा युधिष्ठिर, जब भगवान् विष्णु ने वराह रूप धारण कर हिरण्याक्ष का वध किया, तब हिरण्याक्ष के भाई हिरण्यकशिपु अत्यधिक क्रुद्ध हुआ और विलाप करने लगा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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