श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 15: सुसंस्कृत मनुष्यों के लिए उपदेश  »  श्लोक 78
 
 
श्लोक  7.15.78 
 
 
श्रीशुक उवाच
इति देवर्षिणा प्रोक्तं निशम्य भरतर्षभ: ।
पूजयामास सुप्रीत: कृष्णं च प्रेमविह्वल: ॥ ७८ ॥
 
अनुवाद
 
  श्री शुकदेव गोस्वामी ने कहा: भरत वंश के श्रेष्ठ युधिष्ठिर ने नारद मुनि के वर्णनों से सब कुछ जान लिया | इन उपदेशों को सुनकर उन्हें अपने हृदय में बहुत आनंद का अनुभव हुआ और बहुत प्रेम से उन्होंने भगवान कृष्ण की पूजा की।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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