श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 15: सुसंस्कृत मनुष्यों के लिए उपदेश  »  श्लोक 77
 
 
श्लोक  7.15.77 
 
 
न यस्य साक्षाद्भ‍वपद्मजादिभी
रूपं धिया वस्तुतयोपवर्णितम् ।
मौनेन भक्त्योपशमेन पूजित:
प्रसीदतामेष स सात्वतां पति: ॥ ७७ ॥
 
अनुवाद
 
  यहाँ अब वही परम भगवान उपस्थित हैं जिनका वास्तविक स्वरूप ब्रह्मा और शिव जैसे महान व्यक्तित्व भी नहीं समझ सकते। उनके भक्त अपने पूर्ण आत्मसमर्पण के माध्यम से उन्हें प्राप्त करते हैं। ऐसे भगवान जो अपने भक्तों के पालक हैं और जिनकी पूजा मौन, भक्ति और भौतिक गतिविधियों की समाप्ति से की जाती है, हम पर प्रसन्न हों।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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