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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान
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अध्याय 15: सुसंस्कृत मनुष्यों के लिए उपदेश
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श्लोक 73
श्लोक
7.15.73
तावद्दास्यामहं जज्ञे तत्रापि ब्रह्मवादिनाम् ।
शुश्रूषयानुषङ्गेण प्राप्तोऽहं ब्रह्मपुत्रताम् ॥ ७३ ॥
अनुवाद
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यद्यपि मैने एक दासिका की कोख से शूद्र के रूप में जन्म लिया, लेकिन मैने वैदिक ज्ञान में पारंगत वैष्णवों की सेवा में लग गया। जिसके फलस्वरूप इस जीवन मे मुझे ब्रह्मा जी के पुत्र के रूप में जन्म लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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