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श्रीमद् भागवतम
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अध्याय 15: सुसंस्कृत मनुष्यों के लिए उपदेश
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श्लोक 69
श्लोक
7.15.69
अहं पुराभवं कश्चिद्गन्धर्व उपबर्हण: ।
नाम्नातीते महाकल्पे गन्धर्वाणां सुसम्मत: ॥ ६९ ॥
अनुवाद
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बहुत समय पहले, एक अन्य महाकल्प (ब्रह्मा जी की आयु का एक चक्र) में मैं उपबर्हण नामक एक गंधर्व था। अन्य गंधर्वों के बीच मेरा बहुत आदर था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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