श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 15: सुसंस्कृत मनुष्यों के लिए उपदेश  »  श्लोक 60
 
 
श्लोक  7.15.60 
 
 
धातवोऽवयवित्वाच्च तन्मात्रावयवैर्विना ।
न स्युर्ह्यसत्यवयविन्यसन्नवयवोऽन्तत: ॥ ६० ॥
 
अनुवाद
 
  शरीर पाँच तत्त्वों से बना है, इसलिए यह सूक्ष्म इंद्रिय-विषयों के बिना अस्तित्व में नहीं रह सकता। चूँकि शरीर झूठा है, इसलिए इंद्रिय-विषय भी स्वाभाविक रूप से झूठे या क्षणिक हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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