देशकालोचितश्रद्धाद्रव्यपात्रार्हणानि च ।
सम्यग्भवन्ति नैतानि विस्तरात्स्वजनार्पणात् ॥ ४ ॥
अनुवाद
यदि श्राद्ध कर्म के समय अनेक ब्राह्मणों या सम्बन्धियों को भोजन कराने की व्यवस्था की जाती है, तो समय, स्थान, श्राद्ध का प्रकार, भोजन की सामग्री, ब्राह्मणों की श्रेष्ठता और पूजा विधि में त्रुटियाँ होंगी।