श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 15: सुसंस्कृत मनुष्यों के लिए उपदेश  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  7.15.30 
 
 
यश्चित्तविजये यत्त: स्यान्नि:सङ्गोऽपरिग्रह: ।
एको विविक्तशरणो भिक्षुर्भैक्ष्यमिताशन: ॥ ३० ॥
 
अनुवाद
 
  जो मन पर विजय प्राप्त करना चाहे उसे अपने परिवार का साथ छोड़कर, दूषित संगति से मुक्त एकांत स्थान में रहना चाहिए। अपने शरीर के लिए उसे उतना ही मांगना चाहिए जितने से जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाये।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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