गुरु को सीधे भगवान ही मानना चाहिए क्योंकि वह ज्ञान देता है जो आध्यात्मिकता की ओर ले जाता है। इसीलिए जो लोग गुरु को सामान्य इंसान समझते हैं, उनके लिए सब कुछ बेकार ही जाता है। उनकी ज्ञानवृद्धि, उनका वैदिक अध्ययन और ज्ञान, झील में हाथी के नहाने जैसा है।