श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 15: सुसंस्कृत मनुष्यों के लिए उपदेश  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  7.15.23 
 
 
आन्वीक्षिक्या शोकमोहौ दम्भं महदुपासया ।
योगान्तरायान्मौनेन हिंसां कामाद्यनीहया ॥ २३ ॥
 
अनुवाद
 
  आध्यात्मिक ज्ञान के बारे में बातचीत से शोक और मोह पर जीत हासिल की जा सकती है, एक महान भक्त की सेवा करने से अहंकार खत्म हो सकता है, चुप रहने से योग के रास्ते में आने वाली बाधाओं से बचा जा सकता है और इंद्रियों की तृप्ति को रोक देने से ही ईर्ष्या पर विजय पाई जा सकती है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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