श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 15: सुसंस्कृत मनुष्यों के लिए उपदेश  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  7.15.21 
 
 
पण्डिता बहवो राजन्बहुज्ञा: संशयच्छिद: ।
सदसस्पतयोऽप्येके असन्तोषात्पतन्त्यध: ॥ २१ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजा युधिष्ठिर, अनेक अनुभवी व्यक्ति, अनेक विधि सलाहकार, अनेक विद्वान तथा विद्वत्सभाओं के सभापति बनने योग्य अनेक व्यक्ति अपने-अपने पदों से सन्तुष्ट न होने के कारण नरक के जीवन में गिर जाते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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