पण्डिता बहवो राजन्बहुज्ञा: संशयच्छिद: ।
सदसस्पतयोऽप्येके असन्तोषात्पतन्त्यध: ॥ २१ ॥
अनुवाद
हे राजा युधिष्ठिर, अनेक अनुभवी व्यक्ति, अनेक विधि सलाहकार, अनेक विद्वान तथा विद्वत्सभाओं के सभापति बनने योग्य अनेक व्यक्ति अपने-अपने पदों से सन्तुष्ट न होने के कारण नरक के जीवन में गिर जाते हैं।