कामस्यान्तं हि क्षुत्तृड्भ्यां क्रोधस्यैतत्फलोदयात् ।
जनो याति न लोभस्य जित्वा भुक्त्वा दिशो भुव: ॥ २० ॥
अनुवाद
भूख और प्यास से पीड़ित व्यक्ति की शारीरिक इच्छाएँ और आवश्यकताएँ भोजन से ज़रूर पूरी हो जाती हैं। इसी तरह, यदि कोई ग़ुस्सा करता है, तो प्रताड़ना और उसके प्रभाव से ग़ुस्सा संतुष्ट हो जाता है। लेकिन जहाँ तक लालच की बात है, तो अगर कोई लालची व्यक्ति दुनिया की सारी दिशाओं को जीत ले या दुनिया की हर चीज़ का आनंद ले ले, तो भी वह संतुष्ट नहीं होगा।