श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 15: सुसंस्कृत मनुष्यों के लिए उपदेश  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  7.15.10 
 
 
द्रव्ययज्ञैर्यक्ष्यमाणं द‍ृष्ट्वा भूतानि बिभ्यति ।
एष माकरुणो हन्यादतज्ज्ञो ह्यसुतृप्ध्रुवम् ॥ १० ॥
 
अनुवाद
 
  यज्ञ संपन्न करनेवाले व्यक्ति को देखकर बलि दिए जानेवाले सभी पशु अत्यंत भयभीत होकर सोचते हैं कि यह निर्दयी यज्ञकर्ता, यज्ञ के उद्देश्य से अनभिज्ञ होने के कारण और दूसरों को मारकर अत्यंत संतुष्टि का अनुभव करने के कारण हमें निश्चित रूप से मार डालेगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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