विद्वान विचारशील व्यक्ति को यह जानना आवश्यक है कि भौतिक दुनिया मात्र मोह है, किंतु यह बोध केवल आत्म-साक्षात्कार के माध्यम से ही संभव है। ऐसे आत्म-साक्षात्कारी व्यक्ति को, जिसने प्रत्यक्ष रूप से सत्य को देखा है, आत्म-साक्षात्कार होने के कारण समस्त भौतिक गतिविधियों से संन्यास ले लेना चाहिए।