वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान
»
अध्याय 13: सिद्ध पुरुष का आचरण
»
श्लोक 4
श्लोक
7.13.4
पश्येदात्मन्यदो विश्वं परे सदसतोऽव्यये ।
आत्मानं च परं ब्रह्म सर्वत्र सदसन्मये ॥ ४ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
संन्यासी को चाहिए कि वो सर्वव्यापी परब्रह्म को हर जगह देखें और ब्रह्म के साथ-साथ संपूर्ण ब्रह्मांड को भी परब्रह्म पर टिका हुआ देखें।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.