श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 13: सिद्ध पुरुष का आचरण  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  7.13.34 
 
 
शोकमोहभयक्रोधरागक्लैब्यश्रमादय: ।
यन्मूला: स्युर्नृणां जह्यात्स्पृहां प्राणार्थयोर्बुध: ॥ ३४ ॥
 
अनुवाद
 
  मानव समाज के बुद्धिमान लोगों को हृदय से शोक, लोभ, भय, क्रोध, मोह, दरिद्रता और अनावश्यक श्रम के मूल कारण का त्याग कर देना चाहिए। इन सबके पीछे की असली वजह ज़रूरत से ज़्यादा प्रतिष्ठा और पैसों की चाहत है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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