श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 13: सिद्ध पुरुष का आचरण  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  7.13.31 
 
 
आध्यात्मिकादिभिर्दु:खैरविमुक्तस्य कर्हिचित् ।
मर्त्यस्य कृच्छ्रोपनतैरर्थै: कामै: क्रियेत किम् ॥ ३१ ॥
 
अनुवाद
 
  भौतिक क्रियाकलाप हमेशा तीन प्रकार के दुखों - आध्यात्मिक, प्राकृतिक और शारीरिक - के साथ मिश्रित होते हैं। इसलिए, यदि कोई ऐसी क्रियाएँ करके कुछ सफलता प्राप्त भी कर ले, तो उस सफलता से क्या लाभ? उसे फिर भी जन्म, मृत्यु, बुढ़ापा, बीमारी और अपने कर्मों के फल भोगने होंगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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