भौतिक क्रियाकलाप हमेशा तीन प्रकार के दुखों - आध्यात्मिक, प्राकृतिक और शारीरिक - के साथ मिश्रित होते हैं। इसलिए, यदि कोई ऐसी क्रियाएँ करके कुछ सफलता प्राप्त भी कर ले, तो उस सफलता से क्या लाभ? उसे फिर भी जन्म, मृत्यु, बुढ़ापा, बीमारी और अपने कर्मों के फल भोगने होंगे।