जीवों के लिए जीवन का वास्तविक स्वरूप आध्यात्मिक सुख का है और यही सच्चा सुख है। इस सुख को तभी प्राप्त किया जा सकता है जब मनुष्य सारे भौतिकतावादी कार्यकलापों को बंद कर दे। भौतिक इन्द्रियभोग मात्र एक कल्पना मात्र है, इसलिए इस विषय पर विचार करके मैंने सारे भौतिक कार्यकलाप बंद कर दिए हैं और अब यहाँ लेटा हुआ हूँ।