तत्रापि दम्पतीनां च सुखायान्यापनुत्तये ।
कर्माणि कुर्वतां दृष्ट्वा निवृत्तोऽस्मि विपर्ययम् ॥ २६ ॥
अनुवाद
इस मानवीय जीवन में, पुरुष और महिलाएं कामुकता के सुख के लिए एकजुट होते हैं, परन्तु वास्तविक अनुभव से हमने देखा है कि उनमें से कोई भी सुखी नहीं है। इसलिये विपरीत परिणामों को देखते हुए मैंने भौतिकवादी गतिविधियों में भाग लेना बंद कर दिया है।