श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 13: सिद्ध पुरुष का आचरण  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  7.13.21 
 
 
श्रीब्राह्मण उवाच
वेदेदमसुरश्रेष्ठ भवान् नन्वार्यसम्मत: ।
ईहोपरमयोर्नृणां पदान्यध्यात्मचक्षुषा ॥ २१ ॥
 
अनुवाद
 
  साधु ब्राह्मण ने कहा : हे श्रेष्ठ असुर (दानव), हे प्रह्लाद महाराज, आप सभ्य व शिक्षित पुरुषों द्वारा पूजनीय हैं। आपके पास दिव्य दृष्टि है जिससे आप मनुष्यों के चरित्र को देख सकते हैं और उनके कर्मों के परिणामों को समझ सकते हैं। इसलिए आप जीवन की विभिन्न अवस्थाओं से अवगत हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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