साधु ब्राह्मण ने कहा : हे श्रेष्ठ असुर (दानव), हे प्रह्लाद महाराज, आप सभ्य व शिक्षित पुरुषों द्वारा पूजनीय हैं। आपके पास दिव्य दृष्टि है जिससे आप मनुष्यों के चरित्र को देख सकते हैं और उनके कर्मों के परिणामों को समझ सकते हैं। इसलिए आप जीवन की विभिन्न अवस्थाओं से अवगत हैं।